जूनून है मुझमें,
आगे बढ़ने कि।
संघर्ष कि राह में,
आगे चलने कि।
खुद को तराश कर,
उस संघर्ष में।
एक अच्छे व्यकितत्व में,
ढलने कि।
हाँ, जूनून है मुझमें,
आगे बढ़ने कि…
मंझधार कि कश्ती में,
एक गोता लगाकर,
अगर मुझे,
असफलता मिलती है,
तो मैं उस असफलता को पा कर,
निराश क्यूँ रहूँ?
जिंदगी है तब हि संघर्ष है,
और संघर्ष है तब हि सफलता है।
तो फिर मैं सफलता के लिए,
उस संघर्ष कि दरियाँ में,
क्यूँ ना बहूँ।
हाँ, मैं उस असफलता को पा कर,
निराश क्यूँ रहूँ?…
मैं फिर से एक बार,
जोश और जूनून के साथ,
उस मंझधार से लडूंगा।
एक बार नहीं,
हजार बार कोशिश करूँगा।
कभी ना कभी,
मंजिल करीब आएगी जरुर,
उसी दिन मैं उस मंझधार पर,
खुद फतह हासिल करुंगा।
मैं फिर से एक बार,
जोश और जूनून के साथ,
उस मंझधार से लडूंगा…
जब जिंदगी संघर्ष ही है,
तो मैं उस संघर्ष पर विराम क्यूँ लगने दूँ?
आज मंझधार पार किया हूँ,
कल चट्टान पार करूंगा,
यहीं विचार मैं अपने मन में,
हर पल गढ़ने दूँ।
हाँ, मैं उस संघर्ष पर विराम क्यूँ लगने दूँ?
जब, जूनून है मुझमें,
आगे बढ़ने कि।
संघर्ष कि राह में,
आगे चलने कि।
खुद को तराश कर,
उस संघर्ष में।
एक अच्छे व्यकितत्व में,
ढलने कि।